जयपुर। रविवार को जैन धर्म के 24 वें तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी का 2616 वा जन्मकल्याणक पर्व शहर केदक्षिण भाग सांगानेरप्रताप नगर संभाग में पहली बार आयोजित समारोह में पूज्य गणिनी आर्यिका विशुद्धमतिमाताजी ससंघ पावन सानिध्य में हर्षोउल्लास के साथ मनाया गया। जिसकी शुरुवात प्रातः 7 बजे सांगानेर एयरपोर्टसर्किल पर छुल्लिका श्रेयांसमति माताजी (शिष्या गणिनी आर्यिका गौरवमति माताजी) के साथ मंगल मिलन से हुईजिसके के बाद चित्रकूट जैन मंदिर के दर्शन लाभ प्राप्त कर भव्य शोभायात्रा प्रारम्भकी गई।
पूज्य माताजीससंघ पावन सानिध्य, पंडित विमल चंद जैन बनेठा वालो के निर्देशन में चित्रकूट जैन मंदिर से भव्य शोभायात्रा प्रारंम्भ जिसमे चांदी के रथ में भगवान महावीर स्वामी को विराजमान कर, जयकरों के साथ शोभायात्रा सांगानेरएयरपोर्ट सर्किल, पिंजरपोल गौशाला, टोंक रोड, हल्दीघाटी मार्ग होते हुए प्रताप प्लाजा के सामने चेतक मार्ग प्रतापनगर सेक्टर - 8 स्तिथ समारोह स्थल पर जाकर सम्प्पन हुई इससे पूर्व जगह जगह श्रीजी की शोभायात्रा का स्वागतपुष्प एवं रत्न वर्षा कर की किया गया. बड़े बुजुर्ग, महिला, बच्चे, पुरुष सभी नाचते गाते भगवान महावीर के जयकारोशोभायात्रा की गौरव बड़ा रहे थे।
शोभायात्रा में सबसे पहले ऐरावत हाथी पर विराजमान राजा श्रेणिक नगर सन्देश दे रहे थे तीर्थंकर बालक वर्धमान का जन्म हो चूका है, राजा सौधर्म इंद्र श्री वर्धमान को लेकर आ रहे है जन्माभिषेककलश पांडुशिला पर करवाने के लिए. पीछे - पीछे सन्देश पाकर नगर वाशियो में खुशियों का माहौल बन गया नगरवासी नाचने गाने लगे, खुशियाँ मनाने लगे जन्माभिषेक स्थल की और बेंड - बाजो के साथ बढ़ने लगे, राजा सौधर्मइंद्रा अपने इन्द्रो के साथ भगवान महावीर स्वामी को रथ में विराजमान कर पांडुशिला पर्वत की और बढ़ते रहे। नगरवासी हर्षोउल्लास मानते हुए चलते रहे।

शोभायात्रा में सबसे पहले ऐरावत हाथी पर विराजमान राजा श्रेणिक नगर सन्देश दे रहे थे तीर्थंकर बालक वर्धमान का जन्म हो चूका है, राजा सौधर्म इंद्र श्री वर्धमान को लेकर आ रहे है जन्माभिषेककलश पांडुशिला पर करवाने के लिए. पीछे - पीछे सन्देश पाकर नगर वाशियो में खुशियों का माहौल बन गया नगरवासी नाचने गाने लगे, खुशियाँ मनाने लगे जन्माभिषेक स्थल की और बेंड - बाजो के साथ बढ़ने लगे, राजा सौधर्मइंद्रा अपने इन्द्रो के साथ भगवान महावीर स्वामी को रथ में विराजमान कर पांडुशिला पर्वत की और बढ़ते रहे। नगरवासी हर्षोउल्लास मानते हुए चलते रहे।

इस बीच पूज्यगणिनी आर्यिका विशुद्धमति माताजी का 45 का गणिनी पदारोहण दिवस समारोह भी मनाया गया जिसमे पूज्यमाताजी को शास्त्र भेट, वस्त्र भेट,पाद प्रक्षालन किये गए एवं नविन पिच्छिका भेंट गई.
अंत में आयोजन समिति के सभी सदस्यों (सभी मंदिर समिति अध्यक्ष एवं मंत्री) द्वारा अतिथि आदर सत्कार सम्पनकिया गया. समारोह के मुख्य अतिथि राजस्थान सरकार के कृषि मंत्री प्रभुलाल सैनी, जयपुर शहर सांसद रामचरण बोहरा, भाजपाजयपुर शहर अध्यक्ष संजय जैन, आम आदमी पार्टी जयपुर संभाग प्रभारी उम्मेद सिंह राठोड, श्रीमती भावना जैन(अमेरिका), क्षेत्रीय तीनो पार्षदगण, जयपुर शहर भाजपा मंत्री दीपक जैन, प्रदेश भाजपा आई.टी सहसयोजक मयंकजैन, मालवीय नगर मंडल महामंत्री राकेश जैन, हिमांशु जैन, समाजसेवी विनय सोगानी, मनोज सोगानी, एम.पीजैन, गिर्राज अग्रवाल, आवा अतिशय क्षेत्र अध्यक्ष नेमीचंद जैन उपस्थित रहे. कार्यक्रम का मंच संचालन युवा समाज सेवी चेतन निमोडिया द्वारा किया गया।
समारोह के दौरान पूज्य गणिनी आर्यिका विशुद्धमति माताजी ने अपने मंगल आशीर्वचन में कहा की " आज भगवानमहावीर स्वामी का जन्मकल्याणक पर्व है जो जैन धर्म के 24 वें तीर्थंकर भगवान है जिनके जन्म पर पूरा नगर अपनेआपको गौरवर्णित मासूस करता था ठीक उसी प्रकार आज उन्ही भगवान महावीर का जन्मकल्याणक पर्व पूरा समाजएकजुटता के साथ समर्पण भाव से जिनेन्द्र प्रभु की आराधना करते हुए जन्मकल्याणक पर्व मना रहे है।
भगवानमहावीर स्वामी का पूरा जीवन ही एक सन्देश था जो आज भी सभी को प्रेरणा देता है अहिंसा के मुख्य सूत्रधार भगवानमहावीर स्वामी ने सभी जीवो के सम्मान और रक्षा के लिए अजर - अमर सन्देश दिया " जियो और जीने दो " जिसकाअनुसरण आज भी सभी लोगो को करना चाहिए। जियो और जीने दो का मतलब है की किसी भी जीव के साथ हिंसा नाहो, जीवन और मृत्यु तय है जो आया है उससे जाना भी होगा ये प्रकृति का कानून है। अपने जीवन के मूल्य को समझदूसरे के जीवन का सम्मान भी होना चाहिए।
भगवानमहावीर स्वामी का पूरा जीवन ही एक सन्देश था जो आज भी सभी को प्रेरणा देता है अहिंसा के मुख्य सूत्रधार भगवानमहावीर स्वामी ने सभी जीवो के सम्मान और रक्षा के लिए अजर - अमर सन्देश दिया " जियो और जीने दो " जिसकाअनुसरण आज भी सभी लोगो को करना चाहिए। जियो और जीने दो का मतलब है की किसी भी जीव के साथ हिंसा नाहो, जीवन और मृत्यु तय है जो आया है उससे जाना भी होगा ये प्रकृति का कानून है। अपने जीवन के मूल्य को समझदूसरे के जीवन का सम्मान भी होना चाहिए।
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