न्यायायिक अधिकारों एवं कार्यप्रणाली पर द इण्डियन लॉ इंस्टीट्यूट राजस्थान चेप्टर की दो दिवसीय कार्यशाला शुरू




न्यायायिक अधिकारों एवं कार्यप्रणाली पर हुआ गहन मंथन

जयपुर, द इण्डियन लॉ इंस्टीट्यूट राजस्थान चेप्टर की उदयपुर में दो दिवसीय कार्यशाला का शुभारंभ शुक्रवार को उदयपुर शहर स्थित होटल गोल्डन टूलिप में उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश अरूण मिश्रा के मुख्य आतिथ्य में हुआ। कार्यक्रम की अध्यक्षता राजस्थान उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश प्रदीप नन्द्राजोग ने की तथा विशिष्ट अतिथि राजस्थान सरकार के एडवोकेट जनरल नरपतमल लोढ़ा थे।

मुख्य अतिथि मिश्रा ने उपस्थित न्यायाधीशों एवं अधिवक्ताओं से कहा कि प्रत्येक जरूरतमंद फरियादी को समय पर न्याय दिलाना हमारा प्रमुख कर्तव्य है। हमे हमारी शक्तियों का उचित प्रयोग करते हुए न्याय व्यवस्था को सुदृढ़ बनाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि न्यायालय में निर्णयों के द्वारा न्याय प्रदान किया जाना है और यह कोई दान नहीं हैं। उन्होंने मौजूद प्रतिभागियों से कहा कि फीस प्राप्त करना अधिवक्ता का अधिकार है तो फरियादी के प्रकरणों का शीघ्र निराकरण करना प्रमुख दायित्व है।

कार्यशाला में अध्यक्षता कर रहे राजस्थान उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश प्रदीप नन्द्राजोग ने न्याय को प्राथमिकता देते हुए पारदर्शिता के साथ अपने दायित्वों का निर्वहन करने की बात कही। उन्होंने कहा कि एक अधिवक्ता को न्यायाधीश से अधिक दिमाग रखना होता है क्योकि अधिवक्ता को समाज में समान न्याय स्थापित करने में भी सहयोग करना होता है। उन्होंने बताया कि कोर्ट में मामलों के लम्बित रहने का मुख्य कारण बार बार स्थगन लेना है। ऎसे में बार व बेंच को आपसी समन्वय से कार्य करते हुए प्रभावी प्रयास करने की आवश्यकता है जिससे मामलों का त्वरित निस्तारण हो सके।
राजस्थान सरकार के एडवोकेट जनरल नरपतमल लोढ़ा ने न्यायिक कार्यों को सरकार की सहायता से और अधिक मजबूत बनाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि हमे लोक अदालतों को और अधिक प्रभावी बनाने की आवश्यकता है जिससे फरियादी के प्रकरणों का आपसी समझौते से समयबद्ध निराकरण हो। द इण्डिन लॉ इंस्टीट्यूट राजस्थान चेप्टर के कार्यकारी अध्यक्ष गोविन्द माथुर ने समस्त अतिथियों का स्वागत करते हुए कार्यशाला के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला। कार्यशाला का प्रभावी संचालन द इण्डियन लॉ इंस्टीट्यूट राजस्थान चेप्टर उदयपुर संस्थान के संयुक्त सचिव डॉ. एकलव्य अ. भंसाली ने किया।

कार्यशाला में विभिन्न विधिवेताओं द्वारा अनुकल्पी विवाद निपटारा मंच के तहत स्वतंत्र, कम खर्चीली व जल्द न्याय की प्रक्रिया के संबंध में परस्पर महत्वपूर्ण चर्चाएं एवं विचार-विमर्श किया गया। कार्यशाला में राजस्थान उच्च न्यायालय के न्यायाधिपति, वरिष्ठ अधिवक्तागण, न्यायिक अधिकारीगण, अधिवक्तागण, एकेडमिशियन्स व प्रशासनिक अधिकारी मौजूद रहे। 


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