धौलपुर उपचुनाव वसुंधरा राजे का भविष्य तय करेगा ?

धौलपुर उपचुनाव वसुंधरा राजे का भविष्य तय करेगा ?

जयपुर । धौलपुर उपचुनाव राजस्थान में बीेजेपी कांग्रेस के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न बना हुआ हैं। एक तरफ राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे जो धौलपुर की महारानी भी है उनकी साख दांव पर है तो दूसरी तरफ कांग्रेस कहने को एकजूट है लेकिन सचिन पायलट और पंजाब में सरकार बनवाने में कामयाब रहे अशोक गहलोत के बीच मनमुटाव साफ नजर आ रहा है।


राजस्थान सरकार के एक दर्जन मंत्री और खुद प्रदेश अध्यक्ष धौलपुर चुनाव में जीत का गणित बिठाने में लगे है। बीजेपी ने जेल में हत्या की सजा काट रहे बसपा विधायक बीएल कुशवाहा की पत्नी शोभा रानी को प्रत्याशी बनाया है जबकि कांग्रेस ने पांच बार विधायक रहे वयोवृद्ध कांग्रेसी बनवारी लाल शर्मा को प्रत्याशी बनाया है।
इस बीच कभी कुख्यात डकैत के रुप में जाने वाले जगन गुर्जर की पत्नी भी चुनावी मैदान में है। जगन गुर्जर ने अपराध का रास्ता छोड़ 2009 में सचिन पायलट की मौजूदगी में सरेंडर किया था।धौलपुर में 9 अप्रैल को वोट डाले जाने हैं और कांग्रेस ने जातिगत गणित के हिसाब से 5 बार विधायक रहे और 5 बार चुनाव हार चुके बनवारी लाल शर्मा को उम्मीदवार बनवाया है।
यह है जातिगत समीकरण धौलपुर का
विधानसभा क्षेत्र मेे ब्राह्मण मतदाता 30 हजार है जबकि कुल एक लाख बीयासी हजार मतदाताओं में कुशवाहा ( काछी) ओबीसी व एस सी जाटव मतदाताओ की संख्या 65 हजार के आसपास है। क्षेत्र में लगभग15 हजार मुस्लिम हैं बीजेपी ने मुस्लिम मतदाताओं के बीच संदेश देने के लिए बीजेपी टिकट के प्रबल दावेदार सगीर खान को वक्फ बोर्ड का चेयरमैन बनाकर मंत्री का दर्जा दिया है।
कांग्रेस का गणित
इधर कांग्रेस आठ से दस हजार गुर्जर मतदाताओं के वोटो को रिझाने के लिए खुद सचिन पायलट कांग्रेस प्रत्याशी का प्रचार कर रहे है। यहां गुर्जर वोटरों में सेंध लगाने के लिए जगन गुर्जर की पत्नी मैदान में है।कांग्रेस के लिए धौलपुर में विश्वेेन्द्र सिंह का खासा प्रभाव है विश्वेन्द्र को अशोक गहलोत खेमे का विरोधी माना जाता है।
धौलपुर विधानसभा सीट उपचुनाव में 15 हजार राजपूत मतदाताओं की नाराजगी बीजेपी के लिए नुकसान पहुंचा सकती है आर्थिक आधार पर आरक्षण की लडा़ई में अगवा रहे बाड़ी सीट के कांग्रेस विधायक गिर्राज मलिंगा भी कांग्रेस के समर्थन में माहौल बनाने में लगे है। यहां राजपूतो में कृषक राजपूत के नाम पर मिले ओबीसी प्रमाण पत्र नही बनने का मुद्दा भी जोर पकड़ा जा रहा है।
चुनाव सर पर है और ऐन वक्त पर कांग्रेस पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सीपीजोशी के बयान कि अगला विधानसभा चुनाव सचिन पायलट के नेतृत्व में लड़ा जाएगा से अशोक गहलोत खेमा उपचुनाव से दूर होते दिखाई दे रहा हैं।
बीजेपी के लिए मुश्किलों भरा है उप चुनाव
यही कारण है कि राज्य की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे एवं प्रदेश अध्यक्ष अशोक परनामी ने चुनाव प्रचार में पद्रह मंत्रियों के मौजुद होने के बाद भी किसी पर भरोसा ना करते हुए चुनाव प्रचार की कमान स्वयं अपने हाथो मेें रखते हुए 31 मार्च से धौलपुर में पड़ाव डाल दिया है। जहां अशोक परनामी बूथ स्तर पर कमान सम्भाले है वही राजे जिले के एक एक प्रभावशाली व्यक्तियों से जनसम्पर्क में जुटी है। यहा गौरतलब है कि राजस्थान में नेतृत्व परिवर्तन की अफवाहों के बीच वसुँधरा राजे के लिए धौलपुर उपचुनाव नाक का सवाल बन गया है।indiaprime.co.in

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