चावल ज्यादा खाना सेहत के लिए हानिकारक है, जानिए क्यों बन रहा है चावल जहरीला !

चावल ज्यादा खाना सेहत के लिए हानिकारक है, जानिए क्यों बन रहा है चावल जहरीला !

हेल्थ डेस्क अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ऐसी रिपोर्ट चावल ज्यादा खाना  वालो के लिए बेहद जरुरी है। जो अधिक मात्रा में चावल खाने वालों के लिए परेशानी का कारण बन सकती है। यूएस फेडेरल हेल्थ डेटा ने सम्भावना व्यक्त की है कि अधिक चावल खाने वाले लोग अर्सेनिक वाला चावल खाते हैं जो परेशानी का कारण बन सकता है।

ऐसी सम्भावना व्यक्त की गई है कि चावल मिट्टी या पानी से अर्सेनिक तत्व सोख लेता है इससे अधिक पानी में पैदा होने के कारण अर्सेनिक तत्व की मात्रा बढ़ जाती है। भारत में ही नहीं अन्य देशो में भी लोग चावल खाते हैं। आसानी से पचने वाले आवश्यक तत्वों के कारण इसे सुरक्षित खाना माना जाता है।
कुछ लोग जिन्हे गेहूं से दिक्कत है या केलिएक नामक बीमारी से पिडित है, उनके लिए चावल खाना एक मजबूरी भी है। कुछ रिपोर्ट्स के अनुसार अधिक मात्रा में चावल खाना बिमारियों को न्योता जैसा है। यूएस फेडेरल हेल्थ डेटा के अनुसार अधिक अर्सेनिक वाला चावल खाने से एशिया और मैक्सिको के लोग सबसे ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं।
कई रिपोर्ट में सामने आया है कि भारत में पैदा हो रहे चावल में अर्सनिक मात्रा अधिक है । कुछ साल पहले यूएसएफडीए ने भारतीय बासमती चावल सहित कुछ अन्‍य खाद्य पद्दार्थो में अर्सेनिक तत्‍व पाया गया है।
कैसे पहुंचा अर्सेनिक चावलों में
चावल की मिट्टी या पानी से अर्सेनिक तत्व अगर लगातार मिल रहे है तो चावल की फसल में आना स्वभाविक है। क्योकि चावल की फसल पानी की मौजूदगी में ही होती है ऐसे में अर्सेनिक पानी,मिट्टी,हवा में मिल सकता है।यूएसएफडीए ने भारतीय बासमती की 30 किस्मो में अर्सेनिक की मात्रा की मौजूदगी पाई थी और बाद में लगभग1200 सेंपल में तत्व की मात्रा पाई गई थी।
क्यो नुकसानदायक है अर्सेनिक
अर्सेनिक की मात्रा में शरीर में प्रवेश होने से कई बीमारियो की शुरुवात हो सकती है। इनमें चमड़ी से जुडी बीमारिया,लंग कैंसर शामिल है कुछ मामलो में दिल की बीमारियां होने का खतरा भी बढ़ा है। गर्भवती महिलाओं पर हुए सर्वेक्षण में आधा कप पका हुए चावल खाने से अर्सेनिक की अधिकतम स्वीकार सीमा (10 हिस्सा प्रति अरब) एक लीटर पानी का सेवन करने के बराबर है।
अनुसंधानकर्ताओं ने कहा कि गर्भावस्था के दौरान आर्सेनिक के संपर्क में होना बेहद चिंताजनक है क्योंकि इस पदार्थ से गर्भनाल के जरिेए गर्भ में पल रहे शीशु को नुकसान पहुंच सकता है।

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